Sunday, 6 September 2015

भाभी ने चुदवाया भैया से 1

आप सबने मेरी कहानियाँ पढ़ी और बहुत पसंद किया, मुझे बहुत अच्छा लगा और उसके लिए मैं आप सभी का आभार प्रकट करती हूँ।

 
एक बार फिर मैं आपके सामने अपनी एक बहुत ही हसीन आपबीती लेकर उपस्थित हुई हूँ, आशा करती हूँ आपको पसंद आयेगी।
मेरे पापा के एक दोस्त हैं अनिल अग्रवाल ! पापा और अनिल अंकल एक ही कम्पनी में काम करते हैं, दोनों की काफी अच्छी दोस्ती है।
अनिल अंकल हमारे घर अक्सर आते रहते हैं।
एक दिन अनिल अंकल का पापा के पास फोन आया, कहा- यार मुझे और मेरी पत्नी को रिश्तेदारी में एक शादी में जाना है और मेरा बेटा भी काम के सिलसिले में बाहर गया है। हम शादी में जायेंगे तो पलक बहू घर में अकेली हो जाएगी, शादी में जाना भी जरूरी है और मेरी पोती बहुत छोटी है, तो हम पलक को अकेला नहीं छोड़ सकते। क्या तुम रोमा को कुछ दिन के लिए मेरी बहू के साथ हमारे घर में रहने के लिए भेज सकते हो?
तो पापा ने कहा- मैं रोमा से पूछ कर बताता हूँ।
फिर पापा ने मुझसे पूछा तो मैंने कहा- ठीक है, मैं चली जाऊँगी।
पापा ने अंकल को कह दिया- ठीक है, वो पलक के साथ रह लेगी !
तो अंकल ने कहा- हमें कल शाम में जाना है, मैं कल सुबह रोमा को लेने आ जाऊँगा।
उनका घर हमारे घर से काफी दूर है, मैंने अपनी तैयारी की जाने की और अगले दिन सुबह अंकल मुझे लेने के लिए आ गये। मैं तैयार हो रही थी, मम्मी ने उन्हें जलपान कराया फिर उन्होंने कहा- हम दोनों में तो एक हफ्ते के लिए जा रहे हैं पर मेरा बेटा तीन-चार दिन में घर वापस आ जायेगा तो वो रोमा को वापस छोड़ देगा तब तक रोमा पलक और उसकी बेटी के साथ रह लेगी।
पापा ने कहा- ठीक है यार, जब तक तुम दोनों नहीं आ जाते, रोमा वहाँ रह सकती है।
और फिर अंकल मुझे लेकर अपने घर आ गए।
उनके घर जाकर मैं उनकी बहू से मिली, वैसे तो मैं उनसे पहले भी मिल चुकी थी जब वो हमारे घर आई थी पर हमारी ज्यादा बात नहीं हो पाई थी।
फिर शाम को पाँच बजे अंकल और आँटी की ट्रेन थी तो वो चले गये, मैं उनके घर में थोड़ी चुप-चुप सी थी तो पलक भाभी ने मुझसे कहा- रोमा, तुम इतनी चुप क्यों हो? क्या तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लग रहा है?
मैंने कहा- नहीं नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं है !
तो भाभी कहने लगी- रोमा, तुम इसे अपना ही घर समझो, किसी भी चीज की जरूरत हो तो बेझिझक मुझसे कहना ! तुम मुझे अपनी सखी-सहेली ही समझो।
भाभी की बेटी अभी नौ महीने की है, मैं उसके साथ खेलने लगी।
भाभी ने रात का खाना बनाया, हमने खाना खाया, फिर मैंने भाभी से कहा- मैं कहाँ पर सोऊँगी भाभी?
तो भाभी ने कहा- रोमा, तुम मेरे साथ मेरे ही कमरे में सो जाओ, तुम्हारे भईया तो है नहीं, तुम मेरे साथ सोओगी तो अच्छा रहेगा।
रात में भाभी और मैं कुछ बातें करने लगे। उनकी बेटी रोने लगी तो भाभी ने अपना ब्लाउज ऊपर करके एक उरोज को बाहर निकाल कर गुलाबी निप्पल को बेबी के मुँह में देकर उसे दूध पिलाने लगी।
मैं यह देख कर वहाँ से उठ कर जाने लगी तो भाभी ने कहा- कहाँ जा रही हो रोमा ! बैठी रहो ! इसमें क्या शरमाना !
मैं वहीं बैठी रही।
भाभी के स्तन काफी बड़े थे जो मुझे साफ साफ दिखाई दे रहे थे। मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आपकी अरेंज मैरिज थी या लव मैरिज?
तो भाभी मुस्कुराने लगी कहा- अरेंज कम लव मैरिज थी।
फिर मैंने पूछा- भाभी, आप और भईया कहाँ मिले थे?
तो भाभी कहने लगी- हम कॉलेज में मिले थे !
काफी देर तक हम ऐसे ही बातें करते रहे, बात करते करते रात का एक बज गया था, मैंने भाभी से पूछा- भईया ने आपको प्रपोज कैसे किया था?
तो भाभी कहने लगी- रात बहुत हो गई है रोमा, हमें सोना चाहिए, अब कल बात करेंगे।
फिर सुबह जब मेरी नींद खुली तो भाभी बिस्तर पर नहीं थी। मैं उठ कर बाथरूम की तरफ गई पर बाथरूम अन्दर से बन्द था। भाभी को पता चल गया था कि मैं उठ गई हूँ तो उन्होंने अन्दर से ही कहा- रोमा, मैं अभी 5 मिनट में निकलती हूँ !
मैंने कहा- ठीक है।
फिर भाभी बाथरूम से निकली तो वो सिर्फ ब्रा-पेंटी में थी और वो ब्रा-पेंटी सफ़ेद रंग की पारदर्शी थी। भाभी तौलिये से अपने बालों को पौंछ रही थी।
मैं उन्हें देखती ही रही, उनके बड़े बड़े उरोज ब्रा में से छलक-झलक रहे थे और उनकी योनिस्थल पर हल्के हल्के बाल थे, जो मुझे उस पारदर्शी ब्रा पेंटी से दिखाई दे रहे थे। मैं उन्हें एकटक देखे जा रही थी।
फिर भाभी ने अलमारी से अपने कपड़े निकाले और उन्हें पहनते हुए भाभी ने मुझे कहा- जाओ रोमा, तुम भी जाकर नहा लो।
मैं अपने बैग से कपड़े निकलने लगी पर बैग में ब्रा और पेंटी दिखी नहीं तो मैं बैग में ही ढूंढने लगी।
तो भाभी ने मुझे देख कर पूछा- क्या ढूँढ रही हो रोमा?
तो मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी !
तो उन्होंने कहा- क्या हुआ, बताओ? तुम कुछ परेशान सी लग रही हो?
तो मैंने कहा- हाँ भाभी, लगता है मैं अपनी ब्रा-पेंटी घर ही भूल आई हूँ, वो बैग में नहीं है !
तो भाभी ने कहा- इसमें परेशान होने की क्या बात है, मेरे पास बहुत सारी हैं तुम वो ले लो !
तो मैंने कहा- भाभी, आपकी ब्रा-पेंटी मुझे कहाँ फिट आयेंगी, आप का साइज़ और मेरा साइज़ अलग अलग है।
तो भाभी ने कहा- मेरे पास तुम्हारे साइज़ की ब्रा-पेंटी भी हैं। जब मेरी नई नई शादी हुई थी तो मेरा साइज़ भी तुम्हारे साइज़ जितना ही था, तुम्हारे भईया जब भी बाहर जाते हैं, मेरे लिए ब्रा पेंटी लेकर ही आते हैं। रुको, मैं तुम्हें वो लाकर देती हूँ !
तब भाभी ने अलमारी खोली और उसमें से मुझे अपनी 4-5 ब्रा-पेंटी निकाल कर दी और कहा- ये लो रोमा, ये तुम रख लो ! अब
ये मेरे साइज़ की नहीं है, ये तुम्हारे काम आयेंगी।
मैं नहाने चली गई। जब मैं नहा कर बाहर आई तो भाभी कमरे में ही थी।
भाभी ने मुझे कहा- रोमा, दिखाओ तो तुम्हें ब्रा पेंटी ठीक आई या नहीं?
तो मैंने कहा- हाँ भाभी, ठीक साइज़ की हैं।
तो उन्होंने कहा- दिखाओ तो ! मुझ से क्या शरमा रही हो?
और उन्होंने मेरा तौलिया हटा दिया, फिर कहा- हाँ ठीक हैं ये !
और कहा- रोमा, मुझसे तुम शर्माया मत करो, मुझे अपनी दोस्त ही समझो !
तो मैंने कहा- ठीक है भाभी !
और वो कमरे से चली गई, मैंने अपने कपड़े पहने, फिर हमने नाश्ता किया।
मैंने फिर भाभी से पूछा- बताओ नाअ भाभी, आप लोग कैसे मिले थे?
तो भाभी ने कहा- मैंने बताया तो था कि हम कॉलेज में मिले थे और तुम्हारे भईया ने मुझे वहाँ प्रपोज किया, मुझे भी वो पसंद आये तो मैंने भी हाँ कर दी थी। फिर हम ऐसे ही मिलते रहे थे और पढ़ाई पूरी करने के बाद हमारी शादी हो गई।
और कहने लगी- शादी से पहले हमने लाइफ को खूब एन्जोय किया !
तो मैंने कहा- वो कैसे भाभी?
तो उन्होंने कहा- हम शादी से पहले खूब घूमते थे और मस्ती किया करते थे।
मैंने कहा- क्या क्या मस्ती करते थे आप?
तो उन्होंने कहा- हमने शादी के पहले भी बहुत चुदाई की है !
फिर भाभी ने मुझ से कहा- रोमा, तुमने कभी चुदाई की है?
तो मैंने कुछ नहीं कहा और मुस्कुराने लगी।
फिर भाभी ने कहा- बताओ रोमा? की है तुमने कभी चुदाई?
“की है !” मैंने भाभी से कहा- हाँ मैंने की है भाभी ! आप किसी को बताना मत !
उन्होंने ने कहा- ठीक है !
फिर भाभी ने कहा- कैसा लगा था तुम्हें?
तो मैंने कहा- बहुत अच्छा लगा था !
फिर भाभी ने कहा- चलो, मैं तुम्हें कुछ दिखाती हूँ !
हम कमरे में गए तो भाभी ने एक बैग निकाला, उसे खोला तो उसमें ढेर सारी सीडी थी !
मैंने पूछा- ये किसकी सीडी हैं?
तो भाभी ने कहा- चुदाई की सीडी हैं, तुम्हारे भईया की हैं हम कभी कभी साथ बैठ कर देखते हैं। और फिर जैसे जैसे उस सीडी में चुदाई होती है तुम्हारे भईया भी मुझे वैसे वैसे ही चोदते हैं। बहुत मजा आता है।
भाभी ने एक सीडी लेपटोप में लगा दी, भाभी और मैं उस सीडी में चल रही चुदाई को देखने लगे। चुदाई को देख कर मेरा मन भी चुदने का करने लगा और भाभी भी गर्म हो गई थी तो उन्होंने अपनी साड़ी उठाई और पेंटी के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत में उंगली करने लगी, मैं उन्हें देख रही थी फिंगरिंग करते हुए !
फिर भाभी ने कहा- रोमा, क्या तुम्हारा मन नहीं कर रहा चुदने का?
मैंने कहा- भाभी कर तो रहा है !
तो उन्होंने मुझे कहा- तुम भी फिंगरिंग कर लो, तुम्हें अच्छा लगेगा !
और उन्होंने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया। मैं भी गर्म थी तो मैंने भी अपनी सलवार उतार दी।
फिर भाभी ने कहा- अब तुम भी करो रोमा !
तो मैं भी करने लगी।
भाभी ने कहा- रोमा, मैं तुम्हारी कुछ मदद करूँ क्या?
और फिर उन्होंने मेरा हाथ हटा दिया और मेरी चूत में अपनी उंगली डाल कर आगे पीछे करने लगी। मुझे बहुत मजा आ रहा था कुछ ही देर बाद मैं झड़ गई।
फिर भाभी कहने लगी- रोमा, तुम्हारे भईया का लंड बहुत बड़ा और मोटा है, मुझे उससे चुदने में बहुत मजा आता है। वो 8-10 दिन से बाहर हैं तो मैं चुदाई की प्यासी हो गई हूँ, अब तो ऐसे लग रहा है कि वो जल्दी से आ जायें और मुझे चोदें ! और वो भी मुझे चोदने के लिए उतने ही बेताब होंगे जितना कि मैं उनसे चुदने के लिए बेताब हूँ ! देखना आते ही सबसे पहले वो मेरी चुदाई करेंगे !
कहानी जारी रहेगी।

बगल वाली आंटी की चुदाई

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Saturday, 5 September 2015

मामा की बेटी को चोदा

मैं संदीप जयपुर  का रहना वाला हूँ। चुदाई कथा पर यह मेरी पहली चुदाई की सच्ची कहानी है।
मेरी उम्र 22 वर्ष, कद 5’9″, रंग गोरा, लंड  7″ का है।
इस कहानी की नायिका है मेरी बहन पूजा ।
पूजा एक मॉर्डन लड़की है, मेरे सबसे छोटे मामा की बड़ी बेटी, उम्र 19 साल, उसकी छोटी बहन का नाम दिव्या है, दोनों ही दिखने में माल हैं, गोरी चिट्टी।
पूजा का फिगर कमाल का है 34-28-32, उसके चूतड़ देखकर किसी के भी लंड की हालत खराब हो जाए।
बचपन से ही हमारी अच्छी बनती थी, जब भी मैं नानी के घर जाया करता था तो पूरा समय दोनों बहनों के साथ ही बिताता था।
हम साथ में खूब खेला करते थे।
बात कुछ समय पहले की है जब मैं अपने गाँव से नानी के घर रहने आया था, क्यूंकि मेरा यहाँ के इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन हो गया था।
मेरी नज़र शुरू से ही पूजा पर थी। वो भी मुझे घूरा करती थी और लालच भरी हंसी दिया करती थी।
मुझे मन ही मन लगता था कि यह लड़की मुझसे जरूर चुद जाएगी।
वो सुबह-सुबह अपने स्कूल चले जाती थी और मैं अपने कॉलेज। हम रोज़ शाम को बैठकर टीवी देखा करते थे और बातें किया करते थे।
जल्दी ही हम काफी घुलमिल गये थे।
इतने टाइम में मुझे यह तो पता चल गया था कि उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं है।
कई बार बातों बातों में मैं उसके मखमली बदन को छू लेता था, वो मेरा इरादा तो समझ रही थी, कोई विरोध नहीं करते थी, बस मुस्कुरा दिया करती थी।
दिव्या को भी इस बात की खबर लग गई थी कि हम दोनों के बीच कुछ चल रहा है। अब वो पूजा को मेरा नाम लेकर चिढ़ाने लग गई थी।
मेरा नाम आते ही पूजा का चेहरा लाल पड़ जाता था।
अब बस इंतज़ार एक ही बात का था कि कब मैं अपने दिल की बात उससे कहूँ।
फिर एक दिन मौका देखकर मैंने उसे कह ही दिया- पूजा मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।
उसने उस समय तो कोई जवाब नहीं दिया, वहाँ से चली गई।
मैं काफी उदास हो गया, उसने मुझसे दो दिन तक कोई बात नहीं की।
मैंने सोचा कि इसे सॉरी बोल देता हूँ, कहीं यह किसी को बता न दे।
मैं उसके पास गया- पूजा, उस दिन के लिए ‘आई ऍम सॉरी!’ पर प्लीज तुम मुझसे बात करना मत बंद करो यार!
वो बोली- मैं भी तुम्हें पसंद करती हूँ, पर ये सब गलत है। और तुम तो पापा को जानते ही हो, उनको पता चला तो वो हमारी जान ले लेंगे।
बात तो सही थी, मेरा मामा था भी जल्लाद। दोनों बहनों को बिना पूछे कहीं जाने नहीं देता था और उन पर कड़ी नज़र रखता।
मैंने उसे फिर भी समझाने की कोशिश करी पर वो नहीं मानी।
ऐसे ही दिन बीत गए और हमारे बीच कुछ नहीं हो पाया।
फिर मेरा फर्स्ट इयर खत्म होने के बाद मैंने नानी का घर छोड़ दिया और शहर में एक पी.जी. में आकर रहने लगा, कभी कभी नानी के घर चला जाया करता था।
अब पूजा भी कॉलेज में आ गई थी तो उसे मामा ने एक नया एंड्राइड फ़ोन दिला दिया था।
एक दिन मैं मामा के आया हुआ था, तभी पूजा मेरे पास आई और कहने लगी की- देखना मेरे फ़ोन को क्या हो गया है, इसमें व्टस ऐप्प के कॉन्टेक्ट्स नहीं दिख रहे हैं।
क्यूंकि मैं काफी समय से फ़ोन पर व्टस ऐप्प चला रहा था तो मुझे पता था और मैंने उसकी प्रॉब्लम हल कर दी।
फिर उसने मुझसे मेरे नंबर मांगे जो मैंने बड़े शौक से उसे दे दिए।
अब हमारी रोज़ बातचीत होने लगी।
जब लड़की नए नए कॉलेज में जाती है और अपनी सभी दोस्तों के बॉयफ्रेंड देखती है तो उसका भी मन ललचा ही जाता है। यही हाल बस पूजा का भी था, वो मुझे रोज़ अपनी सहेलियों के और उनके बॉय फ्रेंड्स के बारे में बताने लगी।
मैंने भी उससे पूछ लिया- तेरा मन नहीं करता क्या ये सब चीज़ें करने का?
वो बोली -मन तो बहुत करता है पर किसी लड़के पर भरोसा नहीं है।
मैंने कहा- मुझ पर भरोसा है?
वो- हाँ।
मैं- तो तू मुझे अपना बॉयफ्रेंड क्यों नहीं बना लेती?
इस बार वो थोड़ी न नुकर करने के बाद आखिरकार मान ही गई क्योंकि खुजली उसे भी थी।
अब हम रोज़ फ़ोन पर प्यार की बातें करने लगे। बस अब उसे रूम पे लाकर चोदना था। वो भी मेरे साथ रूम पर चलने को राज़ी हो गई पर सेक्स करने को उसने पहले ही मना कर दिया था।
बस एक किस करने का कहकर उसे में रूम पर ले आया, पर शायद उसे भी पता था कि मामला किस पर तो नहीं रुकेगा।
खैर, वो दिन आ ही गया जिसका मुझे बरसो से इंतज़ार था।
उसके कॉलेज से मैं उसे बाइक पर बैठा कर अपने रूम ले आया, रास्ते में धीरे धीरे से ब्रेक मारने लगा, जिससे उसके 34″ के बोबे मेरी पीठ से लगने लगे।
मेरा लंड तो वहीं तन गया था, वो भी मुझ से चिपक कर बैठ गई।
रूम में पहुंच कर जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया… मैं पूजा की तरफ दौड़ा, मैंने पूजा को पीछे से पकड़ लिया, मेरा लंड उसकी जीन्स के ऊपर से ही उसकी गांड की दरार में फिट हो गया, छाती उसकी पीठ से एकदम चिपका हुआ, हाथ उसके पेट पर धीरे धीरे फेरने लगा और पीछे से ही उसके कंधे और गले पर चुम्बन करने लगा।
वो भी एकदम गर्म हो चुकी थी, उसकी सांसें तेज़ हो चुकी थी।
अब धीरे से में अपने हाथ उसके बोबों तक ले गया और टॉप के ऊपर से ही उन्हें आहिस्ता से मसलने लगा।
माहौल एकदम गर्म हो चुका था।
अब हम बिस्तर पर आकर बैठ गए।
पूजा- संदीप, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।
इतना कहते ही वो मेरा थोड़ा सा करीब आई। इस बार मैंने थोड़ा धैर्य दिखाते हुए उसका हाथ पकड़ा।
क्यूंकि हम दोनों का यह पहला एक्सपीरियंस था तो मैंने सोचा कि थोड़ा रोमांटिक तरीके से किया जाना चाहिए।
मैंने उसकी आँखों में देख कर कहा- पूजा, मैं भी तुमसे बहुत बहुत प्यार करता हूँ।
और उसके हाथों को चूमने लगा।
धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए मैं उसके फेस तक आया और अब हम दोनों लिप-किस करने लगे।
यह मेरा पहला चुम्बन था.. उसके गुलाबी होंठों को चूमने में वो मज़ा आ रहा था… कि बता नहीं सकता, उन गुलाब की पंखुड़ियों का रस चूसने लगा।
वो भी पूरा साथ दे रही थी।
मेरे हाथ उसके बदन को टटोलने लगे। वो भी उत्तेजना में अपने नाख़ून मेरी पीठ में चुभा रही थी।
उसकी इस हरकत से मुझे भी मजा आने लगा, मैं उसे बेहताशा चूमने और चूसने लगा।
अब मैंने उसका टॉप उतार दिया.. और ब्रा के ऊपर से ही उसके मस्त-मस्त सेब से बोबे दबाने लगा, वो धीरे से सिसकारियाँ लेने लगी।
अब मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके कबूतरों को आज़ाद कर दिया, उसके दोनों बोबे पर मैं टूट पड़ा, एक हाथ से उसके एक बोबे को मसल रहा था और दूसरा निप्पल अपने मुँह में ठूंस रखा था।
अब वो जोर जोर से आवाज़ें निकालने लगी और मेरा भी जोश बढ़ता गया- अहह..अह… खा जाओ इन्हें! ये तुम्हारे लिए ही संभाल कर रखे हैं.. आह्ह्ह.. और जोर से संदीप..plz.. मैं बहुत दिनों से आज का इंतज़ार कर रही थी।
एक हाथ से बोबे दबाते हुए अब मैंने दूसरे हाथ से उसकी जीन्स का बटन खोला और उसकी पैंटी के अन्दर हाथ डाल दिया।
वो झड़ चुकी थी और उसकी चूत एकदम गीली पड़ी थी।
अब धीरे से उसके पेट को और नाभि को चूमते हुए मैं नीचे की ओर बढ़ा और एक ऊँगली उसकी चूत में डाल कर हिलाने लगा, चूत में ऊँगली जाते ही वो चिंहुक उठती।
अब मैंने उसकी पैंटी को भी उसके बदन से अलग कर दिया, वो मेरे सामने एकदम नंगी हो चुकी थी।
पहली बार किसी लड़की को पूरी नंगी देख रहा था असल ज़िन्दगी में।
उसकी चूत देखते ही मेरे होश उड़ गये, एकदम क्लीन और गुलाबी चूत थी उसकी जैसे आज ही साफ़ की हो।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की पंखुड़ियों पर रख दी और उसे चूसने लगा।
उसकी सीत्कारें और बढ़ गई और मेरे लंड का हाल अब तक बहुत बुरा हो चुका था, एकदम फटने को था।
करीब 5 मिनट की चुसाई के बाद मैंने अपनी पैंट खोली और अपना लंड उसके हाथ में थमा दिया।
वो लंड देखते ही थोड़ा सा चौंक गई और उसके चेहरे पे हल्की से मुस्कान आ गई, हाथ में लेकर लंड से खेलने लगी और खुद ही मुंह में ले लिया।
मुझे लगा था कि पहली बार है, लंड चुसाने के लिए मिन्नतें करनी पड़ेगी पर यह तो खुद ब खुद चालू हो गई।
खैर …
वो बड़े मजे से मेरा लंड चूस रहे थी और मैं तो जैसे जन्नत में चला गया था, अब आवाज़ निकालने की बारी मेरी थी।
एकदम लॉलीपोप की तरह गपागप… गपागप लगी हुई थी.. मेरा माल निकलने वाला था, पूरे जोश के साथ में उसके मुँह में झड़ गया।
उसने माल फर्श पर थूक दिया।
अब हम एक दूसरे की बगल में लेट गये और फ़िर से चूमाचाटी करने लगे, मैं उसके बोबे चूसने लगा और वो मेरा लंड अपने हाथ से हिलाने लगी।
थोड़ी ही देर में लंड फ़िर खड़ा हो गया.. अब हम चुदाई के लिए तैयार थे।
मैंने देर न करते हुए उसकी टांगें चौड़ी की और उसकी चूत के मुहाने पर लंड का टोपा लगा कर अन्दर घुसाने लगा।
क्योंकि पहली बार था तो अनुभव तो था नहीं.. और ऊपर से उसकी चूत भी गीली थी, तो लंड बार बार फिसल रहा था।
फिर मैंने लंड को हाथ से पकड़ कर जोर से एक धक्का लगाया और लंड उसकी चूत की सील को तोड़ता हुआ लगभग आधा अन्दर घुस गया।
वो जोर से चिल्ला उठी तो मैंने अपने होठों से उसके होंठ दबा दिए।
वो छटपटाने लगी, उसकी टांगें काँपने लगी, आँखों से आंसू आ गये, खुद को मुझसे छुड़ाने की नाकाम कोशिश करने लगी।
कुछ देर तक हम यूँ ही पड़े रहे। अब जब उसका दर्द कम हुआ तो उसने अपनी पकड़ ढीली कर दी, मैं भी धीरे से हल्के हल्के धक्के लगाने लगा।
उसका दर्द अब सिसकारियों में बदल चुका था।
मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.. और जोर से उसके बोबे दबाने लगा और चूसने लगा।
उसकी आवाज़ से मैं पागल होता जा रहा था और पूरे जोश से धड़ाधड़ धक्के मारने लगा।
पूरे कमरे में हमारी आवाज़ें जोर से गूंजने लगी, हम दोनों आनन्द के चरम पर पहुँच गये थे, एक दूसरे के अन्दर पूरा समा जाना चाहते थे, इस बीच वो एक बार फिर से झड़ चुकी थी।
अब मेरा भी 5 मिनट की और चुदाई के बाद अब मेरा भी निकलने वाला था, मैंने पूजा को कस कर पकड़ लिया और जोर जोर से पूरे दम से धक्के मारने लगा.. 8-10 धक्कों बाद मैं भी उसकी चूत में झड़ गया।
हम दोनों 15 मिनट तक यूँ ही लेटे रहे।
उस दिन मैंने पूजा को 3 बार चोदा। फिर नहाने के बाद वो जाने लगी, और जाते जाते एक लम्बा सा जोरदार किस दिया।
फिर मैं उसे घर के पास छोड़ आया।
इसके बाद मैंने उसे कई बार चोदा। और गांड भी मारी
चुदाई की कहानियो में आपका स्वागत है 

उम्मीद है आपको ये ब्लॉग अच्छा लगेगा